टूटे-फूटे ख़याल

सपने और यादें

तेरी यादें कभी मेरे जहन से जाती ही नहीं
तेरे सपने मेरी आँखों से कभी टलते ही नहीं
मैं तो उलझ जाता हूँ ये यादें हैं, सपने हैं नहीं

ख़ुशबू

तेरी ख़ुशबू से महकता रुमाल मैं अपनी जेब में महसूस करता हूँ
जब याद आए तो खोल कर तेरी महक का अहसास करता हूँ
कोई पास न आए, महज नाक साफ करने का बहाना करता हूँ

— राम बजाज

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.