(पान खाये सैयां हमार की तर्ज़ पर )
दाल खाये सैयां हमारो
उसमें डाले वो, ठर्रे का पाव
हाय हाय अब क्या करूँ मैं,
रात दिन मैं तो, हूँ बेहाल
दाल खाएँ —
रात में जब वो, आकर सोए,
शोर करे वो, दोनो तरफ़ से
रात में जब वो, आकर सोए,
शोर करे वो, दोनो तरफ़ से
आ आ आ
बापू, अम्मा, बच्चे रोयें
कुछ तो करो री, हम को बचाओ
हम को बचाओ,
दाल खाये सैयां हमारो
होय-होय
उसमें डाले वो, ठर्रे का पाव
हाय हाय अब क्या करूँ मैं,
रात दिन मैं तो, हूँ बेहाल
दाल खाये सैयां हमारो
— राम बजाज