ख़्वाब तो ख़्वाब है
ख़्वाब तो ख़ाली ही रहते हैं
ख़्वाब कभी भरते नहीं
मेरी क़िस्मत को तो देखो
मुझे ख़्वाब भी आते नहीं
कल रात बड़ी मुद्दतों के बाद एक सुंदर, सलोना सपना देखा
सपना सुंदर था, सलोना भी था, पर बड़ा ही ख़ौफ़नाक था
सपने में मुझे जिस्म, दिल और दिमाग़ की सारी ख़ुशियाँ मिली
पर इन ख़ुशियों की गहरायी रूह तक नहीं पहुंची,
रूह तो तड़पती रही, बेचैन थी बोली कैसी पहुंचूँ
ख़्वाब तो ख़्वाब ही है, ख़्वाब ही रहेगा !
— राम बजाज