तेरे ख़्वाबों की ख़ुशबू
कोई चीज़ है, या ना चीज़ है
कोई ख़याल है या बस एक अहसास है
ज़हन में बस गयी है, दिल में उतर गयी है
मेरी आरज़ू है कि बस, तू आरज़ी ना होती
अहसास- — भावना,
ज़हन — दिमाग,
आरज़ू — इच्छा,
आरज़ी — अस्थिर , क्षणिक
दुआ –प्रार्थना,
याददाश्त — याद, स्मृति
जुर्रत — हिम्मत
गर आरज़ी ही होना था तो बस
एक दुआ मेरी मंज़ूर कर
मेरी याददाश्त से दूर हो जा
कभी यहाँ फिर आने की जुर्रत ना कर
ख़्वाब ही रह जा, असलियत ना बन
ऐ मेरे ख़्वाबों की ख़ुशबू
ऐ ख़ुशबू बार बार याद आकर
बंदे को ना तड़पा ना रुला
बस मुझे छोड़ दे इस हाल पर
कि मैं ख़ुद ही आरज़ी बन जाऊँ
फिर ना तो ख़्वाब आएँ, ना रहे ख़ुशबू
ऐ मेरे ख़्वाबों की ख़ुशबू
ख़ाक — राख
खुदा के वास्ते ऐ ख़ुशबू
थम जा, मुझे थोड़ा आराम करने दे
नहीं तो, तू तो चली जाएगी
मैं ख़्वाबों के ग़म में ख़ाक हो जाऊँगा
तू तो आरज़ी बन गयी,मैं तो जीते जी मर जाऊँगा
— राम बजाज