तनहाई और ख़ामोशी
तनहाई में ख़ामोशी ही साथ देती है,
ख़ामोशी मे तनहाई समा जाती है
रूह और दिल तो ख़ामोश रहते हैं,
पर नींद और ख़्वाब तनाज़ा करते हैं
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तनाज़ा — संघर्ष
ख़ामोश दिल का है प्यार ऐसा,
गहराइयों के इज़हार जैसी
ख़ामोशी सिर्फ़ लब पर ऐसी,
रूह की पाक नज़र जैसी
ख़ामोशी का मतलब ये नहीं,
कि ख़ामोशी में रूह का अहसास नहीं
ख़ामोशी का मतलब है ज़हन मे तो,
दर्द ही दर्द, चैन नहीं आराम नहीं
आज मुझे तनहा रहने दे ख़ुदा,
यारों यारी की ख़्वाहिश ना ख़ुदा
बस अपनी ही याद देकर खुदा,
चैन से रहमे आराम दे ख़ुदा
इस ख़ामोशी को ग़लत ना समझो,
इस ख़ामोशी की दुआएँ ले लो
इस ख़ामोशी को कमज़ोर ना समझना,
इसके ग़ज़ब के क़ुव्वत को नज़राना
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क़ुव्वत — ताकत
इस ख़ामोशी को नकाहत ना समझो,
इस ख़ामोशी से ख़ामोश बातें करो
इस ख़ामोशी की ख़ुशियाँ महसूस करो,
इसकी खुदाई का अन्दाज़ करो
— राम बजाज
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