खोज

खोज

मैं निकला था ढूँढने उसको,जिसने जग की रचना की है
हर सुबह को सूरज आए, रात को जिसने चाँदनी दी है |

लहराती शाखें पेड़ों की, गीत गा रही एक ही लय में
गर तुम समझो तो समझाना, हमको रंगत किसने दी है?

भँवरे डाल डाल पर झूमें, फूलों का रस चख के पूछें
ख़ुशबू में डूबे फूलों को, यह सुंदरता किसने दी है ?

सावन की भीनी वर्षा जब, तपती धरती से मिल जाए
ऊपर आँख उठा कर पूछे, इतनी ठंडक किसने दी है ?

माँ के भीतर एक करिश्मा, कैसे पनपे वो ना जाने
नन्हा सा वह बच्चा पूछे, मुझे ज़िंदगी किसने दी है ?

Response from the higher power
or my understanding of what S/He would say

आँखें खोल के देखो गर तुम, “मैं ही मैं” हूँ चारों ओर
कण-कण के जीवन मे मैं हूँ, यह सब रचना मेरी ही है ।

तुम खोज रहे मुझको ऐसे, लहर लहर खोजे पानी को
पानी से है भरा समुंदर, ना हो पानी लहर नही है ।

मुझे देखना हो तो देखो, हर चेहरे, सूरत में मैं हूँ
जिन आँखों से देख रहे हो, उसकी ज्योति मुझसे ही है ।

अल्ला, ईसा, राम नाम सब,
एक रूप है एक ईश है
शुरू “ॐ” में, अंत “ॐ” में ,
“ॐ” बिना यह खोज नहीं है

— डा. रानी कुमार

Image Credit: https://freesvg.org/golden-om-symbol

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