यह पुस्तक समर्पित है —–
परम प्रेम और श्र्द्धा के साथ मेरी प्रिय अज्जी – डॉ. सरलादेवी खोत को, जो सदा मेरी गुरु और जीवन में मेरी आदर्श रही हैं
और
मेरी प्यारी माँ – श्रीमती हेमलता खोत को, जो जीवन में सदा मेरी दोस्त, संदर्शिका और मार्गदर्शक रही हैं और मुझ पर जिनका विश्वास कभी मंद नहीं पड़ा
और
मेरी बहुत ही प्यारी बिटिया – पूजा कडाम्बी को, जिसने मेरे जीवन को ख़ुशियों से भर दिया और जिसमें मैं वही ऊर्जा, चमक और दृढ़ संकल्प देख रही हूँ, जो उसकी परनानी में थे
और
आप सभी अद्भुत, अपूर्व महिलाओं (बहनों और प्यारी सखियों) को जिन्होंने मेरे जीवन को गति दी है, आगे बढ़ाया है, इसे समृद्ध और इतना सार्थक बनाया है
और अंत में
परम कृतज्ञता के साथ, अपने परिवार के सभी अद्भुत पुरुषों — मेरे तात्या (डॉ. गोपालराव खोत), मेरे बाबा (डॉ. चंद्रकांत खोत), मेरे प्रिय ओके काका (डॉ. पी. डी. देशपांडे) और सदा मुझे सहायता देने को तत्पर मेरे पति (डॉ. विवेक कडाम्बी) को, जिनके अतुलनीय योगदान ने मेरे जीवन को इतना समृद्ध बनाया है ।
— नीलिमा कडाम्बी