Self-Realisation (6)

For having lived long, I have experienced many instances of being obliged by better information, or fuller consideration, to change opinions even on important subjects, which I once thought right, but found to be otherwise.

It is therefore that the older I grow, the more apt I am to doubt my own judgment, and to pay more respect to the judgment of others.

— Benjamin Franklin

आत्मबोध (६)

लंबा जीवन बिताने के बाद, मेरे कई ऐसे अनुभव हुए हैं जहां बेहतर जानकारी, या पूर्ण विचार करने के बाद मुझे कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय बदलनी पड़ी है, जिनके बारे में मैंने सोचा था कि मैं सही हूँ, लेकिन अपनी गलती का पता चला । 

इसलिए, जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ती है, मेरी अपने निर्णयों की उचितता पर संदेह की, और दूसरों के निर्णयों के प्रति सम्मान की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है ।

— बेंजामिन फ्रैंकलिन

Image Credit: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:BenFranklinDuplessisFXD.jpg

लफ़्ज़ों में क्या रखा है

कहा कुछ तुमने ?– सुना नहीं, दुआ थी या बद्दुआ,  पता नही । हाँ और ना से,  हक़ीक़त बदलते देखी बातों  का अब  मुझे, आसरा नहीं ।

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यादों के साये (Nostalgia)

मुट्ठी में दुअन्नी

बचपन में हम एक छोटी सी औद्योगिक बसाहट में रहते थे – तीन बँगले, ८-१० क्वार्टर, मजदूरों की बस्ती, एक डिस्पेंसरी और बैरकनुमा ऑफिसों के

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