अर्सा (लंबा समय) हो गया , “बदले” का इंतज़ार करके
थके बदले ने भी अब, बदलने की ठान ली है
गर्ज़ (जरूरत) है आपकी मुहब्बत का
अर्ज़ (निवेदन) है आपकी इनायत का
शिकायत है आपसे, मुहब्बत के इजहार (अभिव्यक्ति) का
शुक्र है आपका, जनाज़े से पहले बताने का
आपकी बातों से दिल गुनगुना हो जाता है
आपकी यादों से तो दिल गुदगुदा जाता है
उसकी रहमतों को अहमियत (महत्व) दे, बंदे
अपनी ख्वाहिशों को तकफीफ (कम कर) दे, बंदे
— राम बजाज