आज सोचा तो आँसू भर आए (२)

(“हँसते जख्म” के गाने आज सोचा तो आँसू भर आए की तर्ज़ पर )

मधुमेह से प्रभावित (Diabetic) व्यक्तियों के लिए

आज सोचा तो आँसू भर आए
मुद्दतें हो गयीं मीठा खाए

रोज़ रोज़ मुझे ये तड़पाए
नज़रों से और ख़ुशबू से रुलाए

हाथ जैसे उठे उसको खाने
होश और हवास डगमगाए

एक आख़िरी ख़्वाहिश है मेरी
मुझको सपनों में आ ना सताए

— राम बजाज

वाव / बावड़ी /Step-well

मनुष्यों के अस्तित्व के लिए पानी आवश्यक है । इसलिए, जैसे-जैसे मानव जाति खानाबदोश “शिकार-संग्रह” जीवन शैली से “कृषिवाद” तक आगे बढ़ी, उन्होंने एक स्थान

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गद्य (Prose)

अडालज की वाव

हमारा पहला पड़ाव था “अडालज की वाव” ।  वाव या बावड़ी या, अंग्रेज़ी में, Stepwell, का इतिहास बहुत पुराना है ।  पानी को संचय करनेवाली

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