ये दोहे श्री अनूप जलोटा के गाये हुए "कबीर दोहे" की धुन पर सजते हैं
हिन्दू, बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख तथा इस्लाम ।
धर्मों के छ: नाम हैं यह, पर हैं सब एक समान ॥
चिंतन जो मानुष करे, हो भव-सागर पार ।
सेवा जग की जो करे, पाए शांति अपार ॥
ईर्ष्या से बच कर रहो, ईर्ष्या ऐसा दोष ।
सुख और चैन को छीन कर, भस्म करे संतोष ॥
— राम बजाज
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