कबीर दास जी से प्रेरित कुछ दोहे — ३

ये दोहे श्री अनूप जलोटा के गाये हुए  "कबीर  दोहे" की धुन पर सजते हैं

हिन्दू, बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख तथा इस्लाम ।
धर्मों के छ: नाम हैं यह, पर हैं सब एक समान ॥

चिंतन जो मानुष करे, हो भव-सागर पार ।
सेवा जग की जो करे, पाए शांति अपार ॥

ईर्ष्या से बच कर रहो, ईर्ष्या ऐसा दोष ।
सुख और चैन को छीन कर, भस्म करे संतोष ॥

— राम बजाज

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यादों के साये (Nostalgia)

मुट्ठी में दुअन्नी

बचपन में हम एक छोटी सी औद्योगिक बसाहट में रहते थे – तीन बँगले, ८-१० क्वार्टर, मजदूरों की बस्ती, एक डिस्पेंसरी और बैरकनुमा ऑफिसों के

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पद्य (Poetry)

Dear Rain

My love, my heart whispers to you,In your gentle drops, my soul renews.You bring a smile, a soft delight,Farmers’ hearts rejoice, with hope so bright.

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गद्य (Prose)

मेरी अज्जी और मैं (९/२१)

शुरुआत में जाइए मेरी अज्जी और मैं (१/२१) स्त्री परिवार की धुरी होती है; परिवार समाज की बुनियादी इकाई होता है; समाज मिलकर राष्ट्र को

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