हर शाम, गंगू बाई से काम करा कर थकी हुई गृहणियों का, जमावड़ा हुआ करता था
कुछ अपने घर, ज्यादह दूसरों के घर, की बातों के बीच, ठहाकों से बड़ा शोर हुआ करता था
एक दिन आश्चर्य से, भीड़ बड़ी थी, पर बातें सिर्फ़ फुसफुसाहटों में हो रही थीं
जाँच-पड़ताल की, तो पता चला, आज गोष्ठी में सारी महिलाएं उपस्थित थीं
— विनोद