छल्लों वाली गाड़ी

मेरे बहनोई अपने को बड़ा तीस-मार खां समझते हैं । किसी तरह सातवीं पास करने के बाद अपने बाप की बिज़नस में लग कर बड़ा पैसा कमाया है । खैर, उन्होंने एक ऑटोमैटिक-ट्रांसमिशन वाली, छल्लों-वाली गाड़ी, Audi, खरीदी और उसे चला कर बड़े ही घमंड के साथ घूमते थे, और ड्राईवर साथ बैठा होता था ।
कुछ दिन के लिए उनका ड्राईवर अपनी बीमार माँ को देखने गाँव चला गया । बहनोई साहब बोले कोई बात नहीं, गाड़ी मैं चला लूँगा ।
बहनोई साहब गाड़ी तो चला लेते थे, लेकिन एक दिन उनको रात में कहीं जाना था । गाड़ी का इन्जन तो चलता, लेकिन बड़ी कोशिशों के बाद भी गाड़ी आगे बढ़ती ही नहीं ।
दूसरे दिन वे गाड़ी लेकर शोरूम गए और डांट सुनाकर मैकेनिक से बोले “यह कैसी गाड़ी दी है । दिन में तो ठीक चलती है, लेकिन रात को चलती ही नहीं” ।
मैकेनिक ने पूरी जाँच-पड़ताल के बाद कहा “गाड़ी में कोई खराबी नहीं है । लगता है कि गीयर में शायद खराबी हो । आप से गीयर तो ठीक बदलता है ना?”

बहनोई साहब बोले—“क्या तूने मुझे गधा समझ रखा है? दिन के समय में उसे “D फॉर day” पर रखता हूँ और रात के समय “N फॉर night” पर” ।
मैकेनिक हँसते हँसते फर्श पर गिर पड़ा, एम्बुलेंस रास्ते में है ।

— राम बजाज

Image Credit : Alan_D from Crawley, United Kingdom, CC BY 2.0 <https://creativecommons.org/licenses/by/2.0>, via Wikimedia Commons

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