कबीर दास जी से प्रेरित कुछ दोहे — २

ये दोहे श्री अनूप जलोटा के गाये हुए  "कबीर  दोहे" की धुन पर सजते हैं

सेवा करना तब सजे, करे बिना निज नाम ।
सच्ची सेवा वह करे, हो कर के निष्काम ॥

तृष्णा से बच कर रहो, तृष्णा में है आग ।
आग से खेलो मत मना, भस्म करे यह आग ॥

“कबिरा” चिंता क्यूँ करे, चिंता से दुःख होय ।
तज चिंता रे तू मना, रोग से मुक्ति होय ॥

— राम बजाज

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