Self-Realisation (5)

“Dare to be free, Dare to go as far as your thought leads, and Dare to carry that out in your life. — Swami Vivekanand आत्मबोध (५) स्वतंत्र होने की हिम्मत करें, जितनी दूर तक आपके विचार ले जाते हैं, वहां तक जाने की हिम्मत करें, और इसे अपने जीवन में उतारने की हिम्मत करें। […]

Thus Spake Kabeer 54

Kabeerdaas ji is categorized as a saint but his thoughts and compositions are not confined to religion, spirituality, meditation and bhajans alone. He also deals with worldly life – the character and behaviour of individuals; practices (and malpractices) rampant in society; evils of caste system which divides people into ‘high’ and ‘low’ classes, etc. He […]

मन का पागलपन

मन के पागलपन को देखो चंचल है यह नादां ऐसे मंदिर में पूजा में बैठा, बुनता है यह सपने कैसे महल बने इक सुंदर मेरा, धन दौलत इतनी मिल जाए मेरी जीवन-बगिया महके, हर पल फूलों से खिल जाए शोहरत इज़्ज़त, मान का धन भी, मिले मुझीको ज़्यादा सबसे छोटी सी यह आस लिए मैं, […]

आनंद का ठिकाना

आनंदमयी आत्मा खुशी ढूँढती है, चलने को तत्पर जहाँ तक भी जानाआँखो ने देखी जो माया की नगरी, मन ने तड़प के कहा यह है पाना,बुद्धि कहे आनंद धन-दौलत, ना पाए तू जब तक मिलेगी ना मंज़िल,बड़ा सा महल ना बनाए तू जब तक, खुशी का मिलेगा ना तुझको ठिकाना महल भी हो ऐसा बड़ा […]

कहत कबीर ५४

मन सब पर असवार है, पैड़ा करे अनंत ///// कंचन को तजबो सहज, सहल त्रिया को नेह कबीरदासजी संत कहे जाते हैं, पर इनके विचारों और रचनाओं का क्षेत्र केवल धर्म, अध्यात्म, चिंतन और भजन नहीं है। उन्होंने सांसारिक जीवन — व्यक्ति के चरित्र और व्यवहार; समाज की प्रचलित प्रथाओं, व्यवहारों और अंधविश्वासों; समाज में […]

Self-Realisation (4)

“I will not look at another’s bowl intent on finding fault” — a training to be observed — Gautam Buddha आत्मबोध (४) “मैं किसी दूसरे को, उसकी ग़लतियों को खोजने की दृष्टि से नहीं देखूंगा” – यह एक अनुसरण करने लायक अभ्यास है । — गौतम बुद्ध Image Credit: Prashanth Gopalan (https//www.worldhistory.org/image/4064/seated-buddha-figure-displaying-dharmachakra-mudra/)

Authentic Self (2)

What you seem to be, be really. — Benjamin Franklin प्रामाणिक स्व (२) जैसे लगते हैं, वैसे बनें । — बेंजामिन फ्रैंकलिन Image Credit: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:BenFranklinDuplessisFXD.jpg

Thus Spake Kabeer 53

Kabeerdaas ji is categorized as a saint but his thoughts and compositions are not confined to religion, spirituality, meditation and bhajans alone. He also deals with worldly life – the character and behaviour of individuals; practices (and malpractices) rampant in society; evils of caste system which divides people into ‘high’ and ‘low’ classes, etc. He […]

कहत कबीर ५३

सब ही भूमि बनारसी, सब निर गंगा होय ///// जीवन में मरना भला, जो मरि जाने कोय कबीरदासजी संत कहे जाते हैं, पर इनके विचारों और रचनाओं का क्षेत्र केवल धर्म, अध्यात्म, चिंतन और भजन नहीं है। उन्होंने सांसारिक जीवन — व्यक्ति के चरित्र और व्यवहार; समाज की प्रचलित प्रथाओं, व्यवहारों और अंधविश्वासों; समाज में […]

अहिंसा की शुरुआत

अहिंसा की शुरुआत शक था मन में ज़िंदगी, हिंसा बिना कैसे जीऊँ,कोई आए मारने तो शांति से पिटता रहूँ?धर्म ये कहता नहीं, कायर बने दुबके रहो,आत्मरक्षा भाव से, खुद की सदा रक्षा करोहिंसा क्षय करने के आगे, आयेंगे मौके कईक्यों नहीं वाणी के संयम, से इसे शुरुआत दो ?है सही कि, राह लंबी, है बड़ी […]