आज सोचा तो आँसू भर आए (१)

(“हँसते जख्म” के गाने आज सोचा तो आँसू भर आए की तर्ज़ पर ) तुमने सोचा कि हम क्यों न रोयेआहें भर बस , यूँ ही गुनगुनाए धड़कनों ने कहा धड़कनों सेतेज़ ना चल कहीं थम ना जाए दिल की तड़पन को तुमने ना जानाहमको दर्दों को आए छुपाना एक तरफ़ा नहीं प्यार उनकाइस इशारे […]

मिर्ची के गुण

— Contributed by Ram Bajaj Image Credit: Thamizhpparithi Maari, CC BY-SA 4.0 <https://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0>, via Wikimedia Commons

सर्जन का संगीत

सर्जन का संगीत धरती पर झरते रहते हैं बीज निरंतरकितने उनमें वृक्ष घनेरे/नन्हे पौधे बन पाते हैं?उन्हें चाहिए क्षिति-जल-पावक-गगन-समीरण —धरती — जो अपनी गोदी में उन्हें सँजोए;जल उनको जीवन रस दे; पावक दे ऊर्जा;दिशा-दिशा में बढ़ने को अवकाश गगन दे;सक्रियता दे पवन उन्हें जीवंत बनाए — पर इतना पाने पर भी क्या सारे बीयेलहर-बहर ऊँचे […]

कहत कबीर ०१

दोस पराए देख करि, चलत हसन्त हसन्त । // दीन, गरीबी, बंदगी, सब सों आदर भाव । कबीरदास जी संत कहे जाते हैं, पर इनके विचारों और रचनाओं का क्षेत्र केवल धर्म, अध्यात्म, चिंतन और भजन नहीं है। उन्होंने सांसारिक जीवन — व्यक्ति के चरित्र और व्यवहार; समाज की प्रचलित प्रथाओं, व्यवहारों और अंधविश्वासों; समाज […]

बन्दर की पूंछ

बन्दर की पूंछ (पंचतंत्र की एक कहानी पर आधारित) बहुत दिनों पहले जंगल में, रहते थे कुछ बन्दरइधर कूदते, उधर फाँदते, खेला करते दिन भर इसी झुण्ड मे था इक बन्दर, चंचल और शैतानइसे छेड़ना, उसे तोड़ना, यही था उसका काम एक दोपहर, वह सब बन्दर, पहुंचे एक जगह परकारीगर कुछ, बना रहे थे, एक […]

The Bhagwad Gita — Chapter 2_1

सांख्य योग — देह – देह विवेक Sankhya Yoga — Deh – Deh Vivek The Bhagwad Gita Chapter 2 (1) Sanjay Mehta सांख्य योगदेह – देह विवेक Saankhya YogaDeha – Deha Vivek This portion (Shloka 11 onwards) is the beginning of the Bhagwad Gita teachings.  Bhagwan explains the principle of Deha-Dehi Viveka (Body – Atman […]

पीना तो बनता है

पीना तो बनता है नयी सहर हो गयी, पीना तो बनता हैखुदा का नाम लिया, पीना तो बनता है सहर — सुबह नाश्ते की डकार के बाद, पीना तो बनता हैखाने के पहले बोतल से, पीना तो बनता है खाने के साथ एक गिलास से, पीना तो बनता हैखाना हज़म करने के लिए, पीना तो […]

Why Humility ?

Service without humility is selfishness and egotism. — Mahatma Gandhi सेवा अगर विनम्रता से न की जाए तो वह निरा स्वार्थ और अहंकार है । — महात्मा गांधी Image Credit: Rudreshnnjadav, CC BY-SA 4.0 <https://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0>, via Wikimedia Commons

कबीर दास जी से प्रेरित कुछ दोहे — १

यह दोहे श्री अनूप जलोटा के गाये हुए “कबीर दोहे” की धुन पर सजते हैं Ego को न बढ़ाइए, Ego में है दोष  जो Ego को कम करे, उसे मिले संतोष मानुष ऐसा चाहिए, प्रेम से हो भरपूर सेवा सब की जो करे, रहे अहम् से दूर  “कबिरा” नगरी प्रेम की, उसमे तेरा वास  उस नगरी के द्वार पर, लिखा है “कर विश्वास” — राम बजाज Image Credits: https://www.tentaran.com/happy-kabir-das-jayanti-wishes-status-images/

Quality of the “Wise”

Just as a solid rock is not shaken by the storm, even so the wise are not affected by praise or blame. — Gautam Buddha बुद्धिमान की पहचान जिस तरह चट्टान तूफ़ान में भी अडिग रहती है, उसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति भी प्रशंसा या निंदा से बिलकुल प्रभावित नहीं होते । — गौतम बुद्ध Image […]