पानी का है रंग कैसा? … जिसमें मिले उसी के जैसा
दूध सा सफ़ेद, स्याही सा काला, केसर सा केसरिया, हल्दी सा पीला
पानी का आकार कैसा ? … जिसमें ढालें उसी के जैसा
घड़े सा गोल, नली सा लंबा, नली से निकले फौव्वारे सा
पानी की आवाज़ कैसी ? … जगह-जगह पर अलग अलग सी
कैसी कैसी ?
अलग-अलग जगहों पर पानी कैसे बोला ?
नारंगी और पीली मछली
सिर पानी के ऊपर कर के तैर रही थी
आटे की गोली पानी के अंदर देखी
एक उछाल मार कर डुबकी लगा गई झट
पानी बोला
“छुलुक-छुलुक – छुलुक-छुलुक-छुल-छुलुक-छुलुक”
दादुर, बेंगू, मेंढक आए ताल किनारे
तरह-तरह के खेल उन्होने खेले सारे
दादुर बोला “आओ होड़ लगा कर तैरें
जो पहले लौटे वो जीते, दूजा हारे
कूद पड़े दोनों पानी में
पानी बोला
“गुड़ुप-गुड़ुप – गुड़ुप-गुड़ुप-गुड़-गुड़ुप-गुड़ुप”
घनन-घनन बादल गरजा
कड़-कड़-कड़ बिजली चमकी
ज़ोरों से बारिश उतरी
लगी मूसलाधार झड़ी
पानी बोला
“छहड़-छहड़ – छड़ – हड़ड़-हड़ड़”
बाबा की कुटिया पे टीन का टप्पर
उस पर बैठे लका कबूतर
पानी जो बरसा तो उड़ गए फर-फर
पानी की बूंदें गिरी टप्पर पर
पानी बोला
टपर-टपर – टपर-टपर –टिप-टिप-टिप-टिप – टपर-टपर
सड़क किनारे गुल की बगिया
पौधों, झाड़ी और बेलों की
हरियाली से लहराती है
मगर सड़क पर वाहन चलते धूल उड़ाते
वही धूल उस हरियाली पर जम जाती है
हरियाली का दम घुटता है
छुट्टी के दिन, गुल ने सोचा चलो आज हम
पौधों-बेलों को नहला दें, धूल हटा दें
नाला पर पाइप कसकर उसने टोंटी खोली
उससे उछल-उछल कर निकला पानी
पानी बोला
छर्रर-छर छर्रर-छर्रर-छर्रर-छर्र
— कुसुम बाँठिया
Image Credit : https://i1.pickpik.com/photos/932/993/143/drip-water-drop-of-water-water-feature-2c3d9d540344abedc918da683be37e6c.jpg