हिन्दी, और कुछ और भारतीय भाषाओं के वार्तालाप में, तुकांत शब्दों का एक अनोखा उपयोग किया जाता है । यह उपयोग वार्तालाप मे मुख्य शब्द की पहचान के साथ वार्तालाप में एक लय भी लाता है । ऐसे ही कुछ तुकांतों के कुछ उदाहरण नीचे दिये गए हैं । आनंद लें ।
अगर आपकी जानकारी में और उदहारण हों अन्य तुकांतों के, तो कृपया हमे भेजिये आपके नाम से प्रकाशित करने के लिए ।
अंग्रेजी-वंग्रेजी तो अपुन को नहीं आती, आप हिन्दी-विंदी में बोलो तो अपुन को समझ-वमझ आ जाए ।
कौल-वौल तो नहीं आई किसीकी?
घर पर आयें, कुछ बात-वात करते हैं फिर सोचने-वोचने के बाद कुछ हल निकल ही आयेगा ।
आपका खाना-वाना हो गया?
हम शराब-वराब नहीं पीते ।
आप पार्टी-शार्टी से क्यों शर्माते हैं?
कल-वल की बात नहीं करो, मुझे आज ही चाहिए ।
मैं बहुत गुस्से में हूँ मुझसे खेल-वेल नहीं खेलो
आना- जाना तो होगा ही
खेल-वेल नहीं, मैं बहुत सीरीयस हूँ
हँसना-वसना तो मैंने सीखा ही नहीं
पानी-वानी पीना हमने छोड़ दिया है
शाम-वाम की नहीं, अभी आओ
आम-वाम नहीं हमें अमरूद अच्छा लगता है
आगे-वागे की बात बात में करेंगे है
क्या हाल-चाल हैं आपके?
भागो-वागो यहाँ से
पागल -शागल तो नहीं हो गया है?
बाहर ठंड है, जैकेट-वैकेट पहन के जाना
आपकों पानी-वानी पिलाएं ?
हमार जाने-वाने का प्रोग्राम तो नहीं था
उनमें प्यार-व्यार तो नहीं के बराबर ही है
दिल -विल, प्यार-व्यार मैं क्या जानू रे
— राम बजाज