Democracy

As I would not be a slave, so I would not be a master. This expresses my idea of democracy. — Abraham Lincoln लोकतंत्र जैसे मैं गुलामी नहीं करूंगा, वैसे ही मैं मालिकाना हक भी नहीं लागू करूँगा । यही लोकतंत्र के बारे में मेरा विचार है। — एब्राहम लिंकन Image Credit: IceKoldKube, CC BY-SA […]

अहिंसा की शुरुआत

अहिंसा की शुरुआत शक था मन में ज़िंदगी, हिंसा बिना कैसे जीऊँ,कोई आए मारने तो शांति से पिटता रहूँ?धर्म ये कहता नहीं, कायर बने दुबके रहो,आत्मरक्षा भाव से, खुद की सदा रक्षा करोहिंसा क्षय करने के आगे, आयेंगे मौके कईक्यों नहीं वाणी के संयम, से इसे शुरुआत दो ?है सही कि, राह लंबी, है बड़ी […]

सरहद

सरहद नियाज़ – चढ़ावा तुम भी मेरे जैसी माँ हों, सरहद के उस पार भी शायद,जिसकी धड़कन रुक जाती है हे, ऊँची सी आवाज़ से,बन्दूक और बारूद थमाए, अपने लाल को भेजा होगा ,जान से बढ़ कर देश का जज़्बा, जुनून और नियाज़ भी शायद । बाबा भी तो आंसू रोके, दरवाज़े पे खड़े साथ […]

Thus Spake Kabeer 52

Kabeerdaas ji is categorized as a saint but his thoughts and compositions are not confined to religion, spirituality, meditation and bhajans alone. He also deals with worldly life – the character and behaviour of individuals; practices (and malpractices) rampant in society; evils of caste system which divides people into ‘high’ and ‘low’ classes, etc. He […]

कहत कबीर ५२

सुख के संगी स्वारथी, दुःख में रहते दूर । ////// पहिले यह मन काग था, करता जीवन घात । कबीरदासजी संत कहे जाते हैं, पर इनके विचारों और रचनाओं का क्षेत्र केवल धर्म, अध्यात्म, चिंतन और भजन नहीं है। उन्होंने सांसारिक जीवन — व्यक्ति के चरित्र और व्यवहार; समाज की प्रचलित प्रथाओं, व्यवहारों और अंधविश्वासों; […]